नवग्रह से उत्पन्न समस्याएँ एवं उनके निवारण

नवग्रहों से उत्पन्न समस्याएँ एवं उनके निवारण

  • चन्द्रमा ग्रह  से उत्पन्न होने वाली समास्या और उपाय

1.यदि चंद्रमा वृश्चिक राशि में तीसरे छठे आठ में या बार में घर में हो या कन्या राशि में सातवें नाम है दूसरे स्थान में हो।

2. यदि चंद्र लगन से आठवें घर में नीच राशि का हो और शनि 11 में या दूसरे भाव से दसवीं एवं सप्तम दृष्टि से देखा हो

3. कमजोर चंद्रमा आठवें घर में मकर राशि में हो या शनि गैरों में या दूसरे चंद्रमा को देखता हो।

4. चंद्र की महादशा में शनि का अंतर हो जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा पाप ग्रहों से युक्त या मंगल अथवा शनि से दृष्ट हो तो उसका फल कष्टप्रद फल मिलता है।

5. गोचर में चंद्रमा पांचवां आठवां और बारहवें होने पर भी कष्ट होता है।।

नेस्ट चंद्रजन्य रोग

मूत्राशय संबंधित रोग मधुमेह अतिसार अनिद्रा विक्षिप्तता तथा पीलिया अरुचि दमा श्वास रोग खांसी आदि रोगों से परेशानी होती है

उपाय

1. 1500 मिलि ग्राम से बड़ा मोदी पहनें।

2. चंद्रकांत मणि पहनें।

चंद्रकांत मणि धारण करना स्मृति मानसिक शांति और अनिंद्रनाश,हृदय कष्ट निवृत्ति आदि के लिए विशेष लाभदायक है।

चन्द्रमा ग्रह मंत्र

3. ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ॐ ❣️

  • मंगल ग्रह से उत्पन्न समस्या और उपाय

1.यदि जन्म कुंडली में मंगल कर्क राशि का होकर लग्न,चतुर्थ या सप्तम भाव में हो तो कष्टप्रद होता है

2. मंगल शत्रु ग्रहों के साथ स्थित हो एवं सूर्य से दृष्ट हो तो नेस्ट फल देता है ।

3.मंगल मिथुन राशि में या तुला राशि में कम अंश का हो अथवा नवम या तीसरे भाव का स्वामी हो एवं शनि की दृष्टि में भी हो तो खराब फल देता है।

4. मंगल की दशा में मंगल का अन्तर हो उस समय यदि गोचर में मंगल चतुर्थ सप्तम अथवा द्वादश भाव में मंगल वक्री हो तोअनेक प्रकार के कष्ट देता है।

खराब मंगल ग्रह के कारण होने वाली समस्या

  • रक्त प्रवाह,
  • रक्तातिसार,
  • हाई ब्लड प्रेशर,
  • अग्नि व वाहन दुर्घटना,
  • कुष्ठ रोग,
  • बवासीर,
  • चर्म रोग,
  • हड्डी टूटना,
  • गुल्म पित्त विकार आदि रोग होते हैं।

मंगल ग्रह की शांति के लिए

  • मूंगा रत्न 5 या 8 रत्ती,
  • विद्रुम मनी,
  • संग मूंगी,
  • रतुआ,
  • लाल हकीक धारण करना चाहिए।

रतुआ

  • रक्तस्राव रोकता है
  • अद्भुत एवं झरनाशक है
  • गले में आवाज को स्पष्ट करता है।

मंगल ग्रह मंत्र — ॐ हूं श्रीं भौमाय नमः ॐ ❣️

  • सूर्य ग्रह से उत्पन्न समस्या एवं समाधान

  1. यदि सूर्य नीच या पाप ग्रहों से युक्त किंवा शत्रु क्षेत्रस्थ हो तो सूर्य अनेक कष्ट प्रद रोगों को जन्म देता है
  2. सूर्य तुला राशि में सातवें आठवें या बारहवें में घर में हो एवं नीच राशि से मंगल सूर्य को चतुर्थ दृष्टि से देखा हो।
  3. यदि सूर्य जन्म कालिया गोचर में शुक्र या शनि की राशि में हो।
  4. शनि मंगल को या मंगल सूर्य को देखता हो और सूर्य शनि को देखें,तो सूर्य की महादशा में दुर्घटना का योग बनता है।
  5. आठवें घर में सूर्य मंगल के साथ हो तो कष्टप्रद योग बनता है।

 सूर्य ग्रह के कारण होने वाली समस्या

  1. पित्त ज्वर
  2. अपस्मार हृदय,
  3. नेत्र कष्ट,
  4. खून की कमी,
  5. पीलिया,
  6. लीवर की खराबी,
  7. हैजा,
  8. सर में घाव अग्नि दाह आदि।

सूर्य ग्रह के कारण होने वाली समस्या के उपाय

1. माणिक्य रत्न साथ रत्ती सूर्यकांत मणि लालडी या तामड़ा रविवार को पहनें।

2.तामड़ा—यह प्रदाकारी रोगों को शांत करता है धैर्य एवं साहस प्रदान करता है।

3. विद्वान पंडित से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ जरूर कराएं।

सूर्य ग्रह मंत्र

ॐ घृणि सूर्याय नमः।।6000।। जाप करें।

बुध ग्रह की खराब परिस्थितियों  

1.मीन राशि में गया हुआ बुध पांचवें,आठवें या बारहवें घर में हो।

2. बुद्ध शत्रु गृही हो,शनि के साथ दूसरे नवें या बारहवें घर में हो।

3.बुध राहु का योग सातवें घर में हो।

खराब बुध ग्रह के कारण होने वाले रोग—

मूक-बधिर,अजीर्ण, वायु रोग, गलरूजा उन्माद मिर्गी जिह्वारोग हृदय रोग ।

पन्ना रत्न 7 रत्ती बुधवार को धारण करें उपरत्न मरगज,जबरजन्द , धारण करें

 बुध ग्रह मन्त्र

ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः

 

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